नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने होम्योपैथिक दवा निर्माता को यौन विकारों की दवा बेचने के लिए विगौरा मार्क के इस्तेमाल पर स्थायी रूप से रोक लगा दी है। अदालत का यह फैसला फाइजर प्रोडक्ट्स इंक की ओर से दायर ट्रेडमार्क उल्लंघन मुकदमे पर आया है।
फाइजर ने कहा था कि कंपनी वियाग्रा ट्रेडमार्क के तहत प्रसिद्ध स्तंभन दोष (इरेक्टाइल डिसफंक्शन) एलोपैथिक दवा बेचती है। चूंकि, दोनों नामों की समानता है इसलिए वाणिज्यिक संचालन में भ्रम की मजबूत संभावना है। न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने रेनोवेशन एक्सपोर्ट्स प्रा. लि. को विगौरा या किसी अन्य चिह्न, जो फाइजर का ट्रेडमार्क वियाग्रा से मिलता-जुलता हो या फिर भ्रम पैदा करते हो, का उपयोग नहीं करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने दवा कंपनी को तीन लाख रुपये हर्जाना देने को भी कहा। हालांकि, फाइजर ने 20 लाख रुपये के नुकसान का दावा किया था।
ब्रांड की पहचान पर असर
कोर्ट ने कहा, मिलते-जुलते नाम और मार्क की वजह से उपभोक्ता गलती से वियाग्रा के बदले विगौरा खरीदने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। इससे कंपनी के ब्रांड की पहचान और विशिष्टता धुंधली होने के साथ ही आर्थिक नुकसान भी हो सकता है।