नई दिल्ली। राजनिवास अब सोशल मीडिया प्रबंधन भी करेगा। उपराज्यपाल सचिवालय इसके लिए एक सोशल मीडिया एजेंसी की नियुक्ति करेगा, ताकि आम जनता से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों को निपटाया जा सके। कानून व्यवस्था, सुरक्षा और पुलिस व्यवस्था भी बेहतर हो सके। इसके साथ ही नालों की सफाई, यातायात व्यवस्था, पार्किंग प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण का फीडबैक मिल सके।
उपराज्यपाल सचिवालय का कहना है कि दिल्ली सरकार व दिल्ली की अन्य एजेंसियों के आम लोगों का समन्वय बढ़ेगा। यह सचिवालय एक फोरम के रूप में काम करता है। इन सभी कार्यों में दिल्ली की जनता के साथ लगातार बातचीत और विचार-विमर्श संभव हो सकेगा। साथ ही विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर फर्जी खबरों, गलत जानकारियों और झूठे प्रचार का तथ्यात्मक जानकारी लोगों तक पहुंचाई जा सके। इस पर हर साल 1.5 करोड़ रुपये खर्च किया जाएगा। इस प्लेटफार्म पर पारदर्शी रूप से पोस्ट किया जाएगा।
उपराज्यपाल सचिवालय ने दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज के एक बयान का हवाला देते हुए कहा कि इसमें इस्तेमाल की गई भाषा आपत्तिजनक और भ्रामक है। इस तरह के मामलों में कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। दिल्ली सरकार ने 2019-2023 के दौरान विज्ञापन पर जनता के 1900 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। जबकि कोविड काल में दो साल तक वित्तीय संकट भी शामिल है। वर्ष 2023-2024 के लिए सरकार के प्रचार का बजट 557.24 करोड़ रुपये था। पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत शीला दीक्षित के सत्ता की बात करें तो 2009-2010 से 2013-2014 के 5 वर्षों के कार्यकाल के दौरान यह राशि मात्र 87.5 करोड़ रुपये थी।