नई दिल्ली । सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली सरकार ने नई नीति की घोषणा की है। घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाने के लिए बिजली बिल में छूट भी दी है। हालांकि शहर से ज्यादा दिल्ली के गांव सौर ऊर्जा के रास्ते पर चल पड़े हैं जो पूरे राज्य के लिए आदर्श भी बन रहे हैं।
यहां घरों से लेकर गौशाला और जैविक खेती तक में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया जा रहा है। दिल्ली का अकेला जौंती गांव सोलर पैनल के जरिए 50 मेगावाट से भी ज्यादा बिजली पैदा कर रहा है। यह वही गांव है जहां डॉ स्वामीनाथन और उनकी टीम ने 1960 के दशक में इस गांव को प्रयोगशाला में विकसित किए गेहूं के बीज लगाने के लिए चुना था। इन गांवों में किसानों ने सरकार की नई नीति पर खुशी भी जाहिर की है।
जौंती निवासी जैविक किसान कुलदीप आर्य का कहना है कि दिल्ली राज्य में सौर ऊर्जा को लेकर रुझान शहरी क्षेत्र की तुलना में गांवों में ज्यादा बढ़ा है। किसी घर में आठ तो किसी घर में 10 किलोवाट तक की क्षमता के सोलर पैनल लगे हैं जो बीते काफी समय से बिजली बचत कर रहे हैं। हालांकि इनके पास सरप्लस बिजली पैदा नहीं होती है क्योंकि घर और अन्य कार्यों में सभी यूनिट की खपत हो जाती है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि सोलर पैनल लगाने से पहले उनके यहां करीब 12 से 15 हजार रुपये प्रति महीने बिजली बिल आता था जो अब पूरी तरह से फ्री है। आठ किलोवाट के सोलर पैनल लगाने में उन्हें 2.70 लाख का खर्च आया।
ईसापुर में ऊपर बिजली, नीचे खेती एक साथ
नजफगढ़ क्षेत्र के गांव ईसापूर में बिजली और खेती का मिश्रित मॉडल भी स्थापित हुआ है। यहां करीब दो एकड़ से ज्यादा जगह पर सोलर पैनल लगे हैं जिनके नीचे खाली जगह पर हल्दी की खेती की जा रही है। इसी तरह का एक संयंत्र उजवा गांव में कृषि विज्ञान केंद्र ने लगाया है। केंद्र निदेशक डॉ. पीके गुप्ता ने बताया कि यहां ऊपर सोलर पैनल लगे हैं जो हर महीने 12 हजार यूनिट बिजली पैदा कर रहे हैं। नीचे जमीन पर हरी सब्जियां उगाई जा रही हैं और बीच में लोहे के तार बांध कर बेलदार सब्जियां उगाई जा रही हैं। इसे थ्री लेयर मॉडल नाम दिया है।
जैतपुर में पांच साल से सौर ऊर्जा बदरपुर स्थित जैतपुर गांव के सुरजीत सिंह ने बताया कि 2018 में उनके यहां सोलर पैनल लगने शुरू हुए। उन्होंने भी घर की छत पर 320 वाट क्षमता का पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल, माइक्रोटेक सोलर इनवर्टर, लुमिनस सोलर बैटरी और पोर्टेबल माउंटिंग स्ट्रक्चर लगवाया है जिसके जरिए वह पांच वर्ष से एक भी यूनिट बिजली का भुगतान नहीं कर रहे हैं। उनके गांव में अभी 20 गांवों में सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं।
15 से ज्यादा घरों की छत पर सोलर पैनल
जौंती के निवासी किसान रणवीर आर्य ने बताया कि जौंती गांव में 15 से ज्यादा घरों की छत पर सोलर पैनल लगे हैं। यहां मौजूद गौ शाला और वैदिक स्कूल पूरी बिजली सोलर पैनल से ही पैदा कर रहे हैं। पूरे गांव में 50 से 60 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकार और टाटा पावर डीडीएल की ओर से भी अभियान चलाया जा रहा है। अब तक 50 गांवों का एक समूह बनाया है जहां सब्सिडी और वेंडर के अलावा इसके लाभों को लेकर भी जानकारी दी जा रही है। सभी गांवों में अब तक 100 किलोवाट क्षमता के सोलर पैनल लगाए गए हैं।
1500 मेगावाट सोलर पावर स्थापित
बीते सोमवार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि सोलर नीति 2016 के तहत दिल्ली के लोगों ने अब तक अपने घरों की छत पर लगभग 250 मेगावॉट क्षमता के सोलर पैनल लगवाए हैं। इसके अलावा डिस्कॉम ने 1250 मेगावॉट सोलर पावर बाहर से खरीदी है। इस तरह दिल्ली में अब तक करीब 1500 मेगावॉट सोलर पावर स्थापित हुई है। इस क्षमता को और बढ़ाने के लिए नई नीति को लागू किया है।