नई दिल्ली । दिल्ली जल बोर्ड ने यमुना नदी के जल में जहरीले पदार्थों की मिलावट को लेकर स्पष्टीकरण दिया है। जल बोर्ड का दावा है कि सर्दियों के मौसम अक्तूबर से फरवरी तक यमुना नदी में अमोनिया का स्तर स्वाभाविक रूप से बढ़ता है। जलशोधन संयंत्रों को (पार्ट्स पर मिलियन (पीपीएम) तक अमोनिया का शोधन करने के लिए डिजाइन किया गया है।
यदि अमोनिया का स्तर दो से ढाई पीपीएम तक पहुंचता है तो इसे कैरियर लाइन चैनल और दिल्ली सब ब्रांच से पानी मिलाकर पतला किया जाता है।
इस प्रक्रिया से उच्च अमोनिया स्तर वाले पानी को शुद्ध किया जाता है। जल बोर्ड ने इस बारे में मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। जल बोर्ड की सीईओ शिल्पा शिंदे ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि वह इस मामले को उपराज्यपाल वीके सक्सेना के संज्ञान में लाएं। वजह यह कि इससे अंतरराज्यीय संबंधों पर असर पड़ता है।
जल बोर्ड का कहना है कि अमोनिया का स्तर वजीराबाद बैराज के अपस्ट्रीम क्षेत्र में अनुपचारित सीवेज और औद्योगिक कचरे के मिलने से बढ़ता है। मानसून के बाद सर्दियों में यमुना का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे नदी में छोड़े गए अनुपचारित सीवेज का समुचित रूप से पतला होना संभव नहीं हो पाता। परिणामस्वरूप अमोनिया की सांद्रता बढ़ जाती है। इस वर्ष भी अक्तूबर माह से यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़ा हुआ है।
जल बोर्ड ने बताया कि अमोनिया के स्तर में वृद्धि के कारण वजीराबाद और चंद्रावल जल शोधन संयंत्रों में जल उत्पादन 15-20 प्रतिशत तक घटा हुआ है। इस स्थिति के चलते दिल्लीवासियों को जलापूर्ति में थोड़ी कठिनाई हो सकती है। हालांकि पिछले वर्षों के अनुभव के आधार पर यह उम्मीद है कि कुछ दिनों में वजीराबाद तालाब में अमोनिया का स्तर कम हो जाएगा और जल उत्पादन सामान्य हो सकेगा।
दिल्ली जल बोर्ड ने आश्वस्त किया है कि अमोनिया के स्तर को नियंत्रित करने और जल शोधन संयंत्रों को सुचारू रूप से चलाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। यह स्थिति हर वर्ष देखी जाती है और इसके समाधान के लिए जल बोर्ड लगातार प्रयासरत है।