नई दिल्ली । सफदरजंग अस्पताल में पहली बार ब्लड कैंसर से पीड़ित एक नौ साल के बच्चे का बोनमैरो प्रत्यारोपण हुआ। यह सफल रहा। प्रत्यारोपण के बाद बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। हालांकि अगले दो माह तक बच्चे पर निगरानी रखी जाएगी। डॉक्टरों का कहना है कि यह केस सफल होने के बाद अस्पताल में दूसरे बच्चों के लिए भी सुविधा शुरू हो गई है।
अब यहां दूसरे बच्चों का भी सफल इलाज हो सकेगा। यह काफी महंगा इलाज है, जो अन्य सामान्य अस्पतालों में उपलब्ध नहीं है।
अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक, पीड़ित बच्चे को हाजकिन लिंफोमा की बीमारी थी। इसमें बोनमैरो प्रत्यारोपण ही रोग का स्थायी उपचार था। अस्पताल में करीब दो साल पहले ही यह सुविधा शुरू हुई है। अस्पताल में अभी तक चार व्यस्क मरीजों का बोनमैरो प्रत्यारोपण हो चुका है। किसी बच्चे के प्रत्यारोपण का यह पहला मामला है। विभाग के डॉक्टरों ने बताया कि पीड़ित असम का रहने वाला है। दो साल पहले उसे यह बीमारी हुई थी। तब सफदरजंग अस्पताल में ही उसका इलाज हुआ था।
शुरुआती इलाज के दौरान वह ठीक हो गया था, लेकिन करीब एक साल बाद बच्चे को फिर से यह रोग हो गया। उस समय मरीज अस्पताल में फालोअप के लिए आता था। इलाज के दौरान बच्चे का बोनमैरो प्रत्यारोपण करने का फैसला लिया गया। मरीज को अस्पताल में भर्ती किया गया। यहां इलाज के दौरान ही दो अगस्त को बाल रोग विभाग के हेमेटोलॉजी ऑन्कोलॉजी के विशेषज्ञ डाॅ. प्रशांत प्रभाकर के नेतृत्व में बच्चे को बोनमैरो प्रत्यारोपण किया गया। प्रत्यारोपण के बाद बच्चे को जरूरत के आधार पर उचित कीमोथेरेपी दी गई। बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार होने के बाद सात सितंबर को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
12 लाख का खर्चा आता है निजी अस्पताल में
अस्पताल के डाक्टर बताते हैं कि निजी अस्पतालों में इस प्रत्यारोपण में करीब 12 लाख रुपए का खर्च आता है। वहीं सफदरजंग अस्पताल में बच्चे का निशुल्क इलाज किया गया है। बच्चे के लिए बोनमैरो प्रत्यारोपण की सुविधा देने वाला सफदरजंग अस्पताल केंद्र सरकार के अस्पतालों में पहला अस्पताल है।