नई दिल्ली। दिल्ली की जेलों में सजा काट रहे 70 साल से अधिक आयु के बुजुर्ग और अशक्त कैदी जल्द रिहा हो सकेंगे। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली जेल नियम 2018 में संशोधन के लिए अधिसूचना के मसौदे को मंजूरी दे दी। इससे दिल्ली की जेलों में तय अवधि की कैद की सजा काट रहे अक्षम कैदियों की समय से पहले रिहाई का रास्ता साफ हो जाएगा।
यह संशोधन दिल्ली हाईकोर्ट की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए गए आदेश के अनुपालन में किया गया है। इस याचिका में जेल सुधार पर अखिल भारतीय समिति (1982-1983 मुल्ला समिति) और मॉडल जेल नियम, 2003 की रिपोर्ट के संदर्भ में अशक्त कैदियों की समय से पहले रिहाई की मांग की गई थी।
इस संशोधन का उद्देश्य ऐसे बुजुर्ग व अशक्त कैदियों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के साथ दिल्ली की तिहाड़, मंडोली और रोहिणी जेल में कैदियों की भीड़ को कम करना है। इन जेलों में 10,026 की क्षमता के मुकाबले 20 हजार से अधिक कैदी बंद हैं।
संशोधन के मुताबिक नियम 1246-ए को दिल्ली जेल नियम 2018 में शामिल किया गया है, जिस पर जेल विभाग ने प्रस्तावित और गृह और कानून विभागों द्वारा सहमति व्यक्त की गई है।
रिहाई से पहले होगी समीक्षा
नियमों में संशोधन के साथ ऐसे अशक्त कैदी, जिनकी उम्र 70 वर्ष या उससे अधिक है और जो अपने दैनिक काम करने में असमर्थ हैं, को इसके लिए खासतौर पर गठित समीक्षा समिति की सिफारिशों पर समय से पहले रिहा किया जा सकता है। इनमें वे कैदी शामिल हैं जो एक निश्चित अवधि के लिए कठोर या साधारण कारावास की सजा काट रहे हैं और सजा के खिलाफ उनकी अपील का फैसला अपीलीय अदालतों से किया जा चुका है। इनके लिए एक मेडिकल बोर्ड बनेगा, जो अशक्त कैदी घोषित करेगा। साथ ही दोषी ठहराए जाने के बाद कोर्ट से मिली कम से कम आधी सजा (अर्जित छूट की अवधि की गणना किए बिना) को काट चुके हों और जो इस नियम के दायरे में आते हों, ऐसे योग्य कैदियों की ही समय से पूर्व रिहाई पर विचार किया जाएगा।
इन पर नहीं होगा लागू
जिन्हें मृत्यु दंड या उम्रकैद या एनडीपीएस अधिनियम 1985 या पॉस्को अधिनियम 2012 या परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 या गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 या आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1985 या आतंकवाद से संबंधित कोई अपराध या राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा जांच किए गए मामले या भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 या धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के तहत दोषी ठहराया गया हो।