नई दिल्ली । राष्ट्रीय राजधानी में हर रोज दुष्कर्म की करीब पांच वारदातें होती हैं। साथ ही हर रोज 115 वाहन चोरी होते हैं। इसके अलावा झपटमारी की हर रोज करीब चार घटनाएं होती हैं। अपराध का ये डाटा एक जुलाई से लागू किए गए नए कानूनों के बाद पहले महीने यानि जुलाई का है।
देखने में ये आया है कि अब किसी भी तरह की वारदात हो खासकर झपटमारी व लूट की वारदातें करने वालों के खिलाफ पुलिस संगठित होकर अपराध करना यानि बीएनएस की धारा 111 लगा रही हैं। इस धारा में झपटमारी करने वाले को चार साल से ज्यादा की सजा होती है।
दिल्ली पुलिस मुख्यालय से मिले जुलाई महीने के आंकड़ों के अनुसार गंभीर अपराध की श्रेणी में एक जुलाई से लेकर 31 जुलाई तक सबसे ज्यादा दुष्कर्म की वारदातें हुई हैं। जुलाई महीने में दुष्कर्म की कुल 149 वारदातें हुई हैं। दूसरा नंबर रॉबरी की वारदातों का है। जुलाई महीने में कुल रॉबरी की 104 वारदात हुई हैं।
अजघन्य (छोटे-छोटे अपराध) वारदातों में सबसे ज्यादा अन्य चोरी की 9829 वारदातें हुई हैं। इसके बाद वाहन चोरी की 3589 वारदातें हुई हैं। यानि दिल्ली से हर रोज 115 वाहन चोरी होते हैं। लूटपाट की हर रोज 15 और झपटमारी की करीब चार वारदातों होती हैं।
संगठित होकर अपराध करने की धारा लगाई जाती है
एक जुलाई से नए कानून लागू होने के दिल्ली पुलिस संगठित होकर अपराध करने की धारा 11 (आईपीसी में मकोका) लगाई जा रही है। पुलिस जहां भी वारदात में दो व उससे ज्यादा आरोपी होने पर और उनके खिलाफ पहले से केस दर्ज है तो उनपर संगठित होकर अपराध करने की धारा लगाई जा रही है। इस में चार वर्ष तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान है। इससे में बदमाशों के बीच खौफ पैदा होने लगा है।
दिल्ली में अपराध 01.07.2024 से 31.07.2024
जघन्य
- डकैती 3
- हत्या 36
- हत्या के लिए प्रयास 70
-डकैती 104
-दंगा 0
-बच्चा फिरौती के लिए-0
बलात्कार -149
संपूर्ण जघन्य -362
अजघन्य अपराध
- संगठित अपराध -30
-आतंकवादी कृत्य 0
-ज़बरदस्ती वसूली 18
-- छीनने-493
- चोट पहुंचना-82
-सेंधमारी -854
- वाहन चोरी -3589
- घर में चोरी -2129
- अन्य चोरी- 9829
- महिलाओं से छ़ेड़छाड़़-180 छेड़छाड करना
- ईव टीचिंग- 34
-अपहरण - 543
-अपहरण -15
-घातक दुर्घटना-100
-साधारण दुर्घटना -330
-अन्य आईपीसी/बीएनएस -3933
-गैर जघन्य- 22129
डीपी एक्ट के तहत कुल 817 मामले
इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने दिल्ली पुलिए एक्ट(डीपी एक्ट) की कुल 817 एफआईआर दर्ज की हैं। इनमें सबसे ज्यादा एक्ससाइज एक्ट की 287 एफआईआर हुई हैं। इसके बाद सबसे दादा अन्य एक्ट की हुई हैं।