नई दिल्ली। दिल्ली मेट्रो 2031 तक अपनी कुल ऊर्जा जरूरतों में से 50 फीसदी अक्षय ऊर्जा से प्राप्त करेगी। इसको लेकर मेट्रो ने पहले ही योजना बना रखी है। मौजूदा समय में मेट्रो अपनी 35 फीसदी ऊर्जा अक्षय ऊर्जा से प्राप्त कर रही है। इसमें 30 फीसदी ऊर्जा मध्य प्रदेश के रीवा जिले में लगे सौर ऊर्जा प्लांट से प्राप्त होता है, जबकि 5 फीसदी ऊर्जा मेट्रो खुद के लगे संयंत्र से प्राप्त कर रही है।
डीएमआरसी के अधिकारियों ने बताया कि हर साल अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल में बढ़ोतरी की जाएगी। वर्ष 2031 तक कुल जरूरत की ऊर्जा में से 50 फीसदी अक्षय ऊर्जा से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। निर्माणाधीन मेट्रो के फेज-4 में विस्तार के बाद तीन नए कॉरिडोर पर भी मेट्रो सेवाएं शुरू हो जाएंगी। इससे सालाना करीब 21.8 करोड़ यूनिट अतिरिक्त बिजली की जरूरत होगी।
ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए फेज-4 के 27 एलिवेटेड स्टेशनों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जाएंगे। इससे 10 मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया जाएगा। जिससे सालाना करीब एक करोड़ यूनिट सौर ऊर्जा के उत्पादन का अनुमान है।
परिचालन में 66 करोड़ यूनिट बिजली की जरूरत
मौजूदा समय में दिल्ली मेट्रो के 393 किलोमीटर के नेटवर्क में फिलहाल 288 मेट्रो स्टेेशन हैं। इसमें मेट्रो के परिचालन और स्टेशनों पर रोशनी, वेंडिंग मशीन सहित ऊर्जा की तमाम जरूरतें पूरी करने में सालाना करीब 66 करोड़ यूनिट से अधिक की बिजली की जरूरत होती है। अभी फिलहाल दिल्ली मेट्रो अपनी कुल ऊर्जा की पूर्ति 35 फीसदी नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करता है। अधिकारियों ने बताया कि सौर ऊर्जा की मांग में बढ़ोतरी को पूरा करने के लिए अधिक से अधिक स्टेशनों पर सोलर प्लांट और सोलर पैनल लगाए जाएंगे।