नई दिल्ली। राव कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर जाने से यूपीएससी के तीन अभ्यर्थियों की मौत की मजिस्ट्रेट जांच में एमसीडी और अग्निशमन विभाग द्वारा कई कानूनों के दुर्भावनापूर्ण उल्लंघन का संकेत मिला है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि एमसीडी और अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने पहले नियमों के उल्लंघन को देखा था, इसके बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
मजिस्ट्रेट जांच में आईएएस स्टडी सर्कल को भी दोषी ठहराया है। राजस्व मंत्री को सौंपी गई रिपोर्ट में कई खुलासे हुए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राव कोचिंग सेंटर के मालिक और प्रबंधन भी छात्रों के जीवन की परवाह किए बिना बेसमेंट के खतरनाक दुरुपयोग में शामिल होकर आपराधिक लापरवाही के लिए जिम्मेदार थे। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि बिल्डिंग में 'नियमों के उल्लंघन' को एमसीडी और फायर डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने पहले भी देखा था, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।
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जांच में छात्रों और विभिन्न विभागों के अधिकारियों सहित 15 लोगों से पूछताछ की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि एमसीडी ने यहां नाले से अतिक्रमण नहीं हटाया। साथ ही निचले स्थान पर स्थित होने के कारण जलभराव की संभावना होने के बावजूद क्षेत्र में नालों से पिछले पांच वर्षों से गाद नहीं निकाली गई है। वहीं, अग्निशमन विभाग इस साल 1 जुलाई को निरीक्षण के दौरान एमसीडी को लाइब्रेरी के रूप में इमारत के बेसमेंट के दुरुपयोग का उल्लेख करने में भी विफल रहा।
कोर्ट ने चार सह-मालिकों की जमानत याचिका पर सीबीआई से मांगा जवाब
अदालत ने बुधवार को राजेंद्र नगर के कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में हुए हादसे के मामले में जेल में बंद बेसमेंट के चार सह-मालिकों की जमानत याचिकाओं पर सीबीआई को नोटिस जारी किया है। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजू बजाज चंदना ने केंद्रीय जांच एजेंसी को नौ अगस्त तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसके बाद ही अदालत चार आरोपी परविंदर सिंह, तजिंदर सिंह, हरविंदर सिंह और सरबजीत सिंह की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
अदालत ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि चूंकि एफआईआर की प्रति अदालत के सामने नहीं लाई गई है, इसलिए वह आरोपियों द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर फैसला नहीं कर सकती है। उच्च न्यायालय ने हाल ही में ओल्ड राजेंद्र नगर में कोचिंग सेंटर की इमारत के बेसमेंट में हुई मौतों की जांच पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दी थी।