नई दिल्ली । आबकारी घोटाले के आरोपी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरफ से जमानत की मांग व गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बृहस्पतिवार को सुनवाई होगी। इन याचिकाओं पर जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस उज्ज्वल भुयान की पीठ सुनवाई कर सकती है।
शीर्ष अदालत ने 23 अगस्त को सीबीआई को मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी थी और केजरीवाल को उसका जवाब दाखिल करने के लिए दो दिन का समय दिया था। केजरीवाल ने जमानत देने से इन्कार करने व सीबीआई की तरफ से अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की हैं।
उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को बरकरार रखने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के पांच अगस्त के आदेश को चुनौती दी है। आम आदमी पार्टी प्रमुख को सीबीआई ने 26 जून को गिरफ्तार किया था। 14 अगस्त को शीर्ष अदालत ने मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से इन्कार कर दिया था। एजेंसी
मेधा पाटकर ने मानहानि के मामले में झूठा हलफनामा दाखिल किया, अपील खारिज की जाए : उपराज्यपाल
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बुधवार को अदालत को बताया कि नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) की नेता मेधा पाटकर ने एक झूठा हलफनामा दायर किया है। ऐसे में मानहानि के मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपील को खारिज किया जाए।
सक्सेना ने पाटकर की अपील के जवाब में कहा अपीलकर्ता (पाटकर) के हस्ताक्षर के बिना और पूर्व-दिनांकित झूठे हलफनामा अपील दायर करना न केवल इस अदालत की अवमानना और झूठी गवाही का कृत्य है, बल्कि यह अपीलकर्ता की ओर से अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी या पूरे तथ्य और रिकॉर्ड को नकारने की एक चतुर रणनीति है। पकड़े जाने के बाद पाटकर ने अज्ञानता और अनजाने में हुई गलतियों का हवाला देकर अपने वकीलों पर बोझ डालने की कोशिश की।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल सिंह ने 29 जुलाई को पाटकर की सजा को निलंबित कर दिया था, जो 23 साल पहले गुजरात में एक एनजीओ के प्रमुख रहे सक्सेना की ओर से दायर मानहानि के मामले में था। एक जुलाई को मजिस्ट्रेट अदालत ने पाटकर को पांच महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई थी, साथ ही 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
बुधवार को सक्सेना के वकील गजिंदर कुमार और किरण जय ने पाटकर की अपील पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह सुनवाई योग्य नहीं है। इसे खारिज किया जाना चाहिए, क्योंकि पाटकर ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। उन्होंने कहा वर्तमान अपील को 27 जुलाई को दायर नहीं माना जा सकता है। इसलिए अपीलकर्ता (पाटकर) इस अदालत के 29 जुलाई के आदेश का लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं हैं।
केजरीवाल से मिलने की अनुमति न देने पर जेल अधिकारियों से मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सांसद संजय सिंह को मिलने की अनुमति न देने पर तिहाड़ जेल अधिकारियों से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए जेल अधिकारियों को तीन दिन का समय दिया और मामले की सुनवाई 9 सितंबर को तय कर दी।
सुनवाई के दौरान संजय सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि उनके मुवक्किल राज्यसभा सांसद हैं और उन्हें इस आधार पर मिलने की अनुमति नहीं दी गई कि वह पूर्व कैदी हैं। केजरीवाल की स्वास्थ्य स्थिति गंभीर है और परिवार उनके स्वास्थ्य की जांच के लिए उनसे मिलना चाहता है। जेल अधीक्षक जिस तरह से मामले से निपट रहे हैं, उससे स्थिति चौंकाने वाली है।
दो बेटियों की हत्या में मां को उम्रकैद
अदालत ने बुधवार को 2018 में अपनी दो नाबालिग बेटियों की हत्या करने के मामले में दोषी महिला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने इसे दुर्लभतम और निर्मम हत्या करार देते हुए कहा कि इस जघन्य अपराध ने अदालत की अंतरात्मा को झकझोर दिया है, क्योंकि समाज में माताओं को उनकी पालन-पोषण की भूमिका, बलिदान, भावनात्मक लचीलापन और निस्वार्थता के कारण आदर्श माना जाता है। अदालत ने दोषी पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
तीस हजारी अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सचिन जैन ने लीलावती (32) को सजा सुनाते हुए कहा कि दोषी के दो जीवित बच्चों की भलाई को देखते हुए मृत्युदंड की तुलना में आजीवन कारावास अधिक उचित है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, उसने 20 फरवरी, 2018 को अपनी पांच माह व पांच वर्ष की दो बेटियों की गला दबाकर निर्मम हत्या कर दी।
अदालत ने अपने आदेश में कहा इसमें कोई संदेह नहीं है कि माँ को हमेशा उसकी पालन-पोषण की भूमिका और कथित त्याग के कारण एक रक्षक के रूप में देखा जाता है अदालत ने कहा, दोषी अपेक्षाकृत युवा है और कारावास की पर्याप्त अवधि काटने के बाद उसके पुनर्वास और समाज में पुनः एकीकरण की संभावना बनी हुई है। इस वजह से उसे मृत्युदंड के बजाय आजीवन कारावास की सजा देना उचित होगा।