नई दिल्ली। अदालत ने शनिवार को कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार मामले के संबंध में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज एफआईआर में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 12 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अदालत ने बचाव पक्ष के केजरीवाल को न्यायिक हिरासत में न भेजने के तर्क को खारिज कर दिया।
अदालत ने कहा आप जमानत के लिए आवेदन दायर कर सकते है।
राउज एवेन्यू कोर्ट की अवकाश न्यायाधीश सुनैना शर्मा ने यह आदेश केजरीवाल को सीबीआई हिरासत की तीन दिन की अवधि समाप्त होने पर अदालत में पेश किए जाने के बाद दिया। केंद्रीय जांच एजेंसी ने केजरीवाल को न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया।
केजरीवाल की और से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने आवेदन का का विरोध किया, जिन्होंने अदालत के समक्ष कुछ पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा मामले की जांच अगस्त 2022 से चल रही है, केजरीवाल को 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था और 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी थी। इसके अलावा सीबीआई ने दलील दी थी कि जनवरी में केजरीवाल के खिलाफ कुछ सबूत जुटाए गए थे और अप्रैल में पीसी एक्ट के तहत अभियोजन की मंजूरी मिल गई थी। अधिवक्ता ने कहा केजरीवाल को पहले गिरफ्तार नहीं किया गया क्योंकि सीबीआई सर्वोच्च न्यायालय की कार्यवाही को प्रभावित नहीं करना चाहती थी।
चौधरी ने सीबीआई से मामले में केजरीवाल के खिलाफ जुटाई गई सारी सामग्री, केस डायरी सहित, रिकॉर्ड पर रखने के लिए कहने की मांग करते हुए एक आवेदन पेश किया। उन्होंने कहा कि आवेदन न्यायालय की सहायता के लिए पेश किया गया है।
इस पर अवकाश न्यायाधीश ने मौखिक रूप से कहा कि हालांकि जांच और पुलिस हिरासत के दौरान जांच अधिकारी द्वारा उठाए गए कदमों की निगरानी करना न्यायालय का दायित्व है, लेकिन यह न्यायालय और जांच अधिकारी के बीच का मामला है। ये सामग्री आरोपी को नहीं बताई जा सकती। न्यायालय निश्चित रूप से रिमांड मांगने के लिए सामग्री पर खुद को संतुष्ट करेगा। लेकिन पीसी की अवधि समाप्त होने के बाद न्यायालय के पास आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
अदालत ने कहा आरोपी प्रक्रिया के अनुसार जमानत के लिए आवेदन पेश कर सकता है। ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि न्यायालय आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजने के लिए जांच अधिकारी के आवेदन को खारिज कर दे।
चौधरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह दलील दी गई थी कि मामले की जांच तीन जुलाई तक पूरी हो जाएगी। कृपया जांच अधिकारी से कहें कि वे जो कुछ भी कह रहे हैं, उसे स्पष्ट करें। ताकि कल मैं किसी भी फोरम में इस मामले पर बहस करूं। उन्होंने कहा कोई भी केस डायरी की कॉपी नहीं मांग सकता। आप उनसे विशेष रूप से पूछ सकते हैं कि वह सामग्री कहां है।
अदालत ने उनके तर्क पर कहा उन्होंने निश्चित तिथि तक जांच पूरी करने के बारे में जो भी बयान दिया है, भले ही उन प्रतिबद्धताओं का पालन न किया जाए तो भी आपको जमानत मांगने का आधार मिलेगा। आप यह नहीं कह सकते कि न्यायिक हिरासत में न भेजा जाए।
मुख्यमंत्री को 26 जून को अवकाशकालीन न्यायाधीश अमिताभ रावत ने तीन दिन के लिए सीबीआई हिरासत में भेज दिया था। उन्होंने कहा था कि इस स्तर पर गिरफ्तारी को अवैध नहीं कहा जा सकता। हालांकि, जज ने कहा था कि गिरफ्तारी अवैध नहीं है, लेकिन सीबीआई को अति उत्साही नहीं होना चाहिए।
मंगलवार को जांच एजेंसी ने तिहाड़ जेल में मुख्यमंत्री से पूछताछ की, जहां वह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांचे जा रहे मनी लॉन्ड्रिंग मामले के संबंध में न्यायिक हिरासत में बंद हैं। केजरीवाल का बयान दर्ज किया गया। यह दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा पीएमएलए मामले में मुख्यमंत्री को दी गई जमानत पर रोक लगाने के कुछ घंटों बाद हुआ।
अदालत की अनुमति के बाद सीबीआई ने अदालत में केजरीवाल से पूछताछ की और फिर मामले में उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया। केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। मई में, उन्हें आम चुनावों के मद्देनजर एक जून तक सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम जमानत दी गई थी। उन्होंने दो जून को आत्मसमर्पण कर दिया।