नई दिल्ली । जेएनयू के चीफ प्रॉक्टर ने यौन उत्पीड़न मामले को लेकर आधिकारिक आदेश जारी कर दिया है। इस आदेश के अनुसार पूर्व छात्र की परिसर में एंट्री बैन कर दी गई है।
आदेश में कहा गया है कि .31 मार्च 2024 को चीफ प्रॉक्टर कार्यालय में एक छात्रा से प्राप्त शिकायत के बाद 1 अप्रैल 2024 की सुरक्षा रिपोर्ट और शिकायतकर्ता, गवाहों और सुरक्षा कर्मियों द्वारा दिए गए बयानों से पता चला कि अश्वरी प्रताप सिंह (पूर्व छात्र) को उसके और जेएनयू के एक अन्य छात्र के साथ मौखिक दुर्व्यवहार, अपमानजनक टिप्पणियों और धमकी में शामिल पाया गया था।
इस तरह की हरकतें गंभीर प्रकृति की हैं और इसलिए पूरे जेएनयू परिसर को तत्काल प्रभाव से अश्वरी प्रताप सिंह की सीमा से बाहर घोषित किया जाता है। आदेश में आगे कहा गया है कि विश्वविद्यालय परिसर में अश्वरी प्रताप सिंह को आश्रय देने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि एक छात्रा ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए शिकायत दी थी। लेकिन जब उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वह भूख हड़ताल पर बैठ गई थी। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना था कि जांच के आदेश दे दिए हैं, आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
इससे पहले जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष धनंजय ने कहा कि कैंपस में छात्राएं सुरक्षित नहीं हैं। कैंपस के अंदर विश्वविद्यालय के ही छात्र बाहरी लोगों के साथ मिलकर आधी रात को छात्रा से अभद्रता करते हैं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। पीड़िता का आरोप है कि चार लोगों में से दो विश्वविद्यालय के ही छात्र हैं, जबकि दो बाहरी हैं। छात्रा के समर्थन में जेएनयू छात्रसंघ ने कैंपस में रात को मार्च निकाला और छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग रखी।
उधर, पीड़िता का कहना है कि विश्वविद्यालय में छात्राएं सुरक्षित नहीं हैं। कैंपस में यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़ की घटनाएं बढ़ गई हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन सुरक्षा देने में नाकाम रहा है। मैं भूख हड़ताल पर बैठी हूं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने अभी तक मुझसे मिलकर पूरी जानकारी तक नहीं ली। पीड़िता ने आरोपी छात्रों का नामांकन रद्द करने की मांग रखी है। हालांकि जिन छात्रों पर आरोप लगा है, वे दूसरे छात्र संगठन से जुड़े हुए हैं।