नई दिल्ली। इंडिया गेट पर सेल्फी लेने के चक्कर में बच्चे गायब हो रहे हैं। यहां हर तीन दिन में एक बच्चा लापता हो जाता है। पुलिस के मुताबिक यहां पहुंचते ही माता-पिता व अभिभावक सेल्फी लेने में व्यस्त हो जाते हैं। इस दौरान बच्चे बैरीकेड से बाहर निकल जाते हैं। बैरिकेड से बाहर निकले बच्चों को ढूंढना बहुत मुश्किल हो जाता है। इन्हें ढूंढने में पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ती है।
नई दिल्ली जिले के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इंडिया गेट पर सुबह, दोपहर और शाम को लोग घूमने आते हैं। रात के समय इंडिया गेट और राजपाथ लॉन में लोगों की संख्या खासी बढ़ जाती है। एक जनवरी से लेकर 31 मार्च तक इंडिया गेट से 31 बच्चे गायब हुए। इनमें से ज्यादातर बच्चों की उम्र दो से आठ वर्ष तक की थी। हालांकि राहत की बात यह है कि लापता हुए सभी 31 बच्चों को पुलिस ने कुछ ही घंटों में ढूंढ निकाला। सिर्फ एक दिन तीन वर्ष की बच्ची को ढूंढने में करीब छह घंटे लगे थे। बच्ची इंडिया गेट से बैरिकेड पार कर दूर चली गई थी।
बच्ची को इतना याद था कि वह मटका पीर लोने की रहने वाली है। पुलिस ने स्थानीय पुलिस की सहायता ली और बच्ची की दादी को ढूंढ निकाला। नई दिल्ली जिला पुलिस उपायुक्त देवेश महला ने पुलिसकर्मियों को यहां आने वाले लोगों को जागरूक करने के निर्देश दिए है। साथ ही बच्चा गायब होते ही तुरंत कार्रवाई करने को कहा है।
बच्चों को ढूंढने के लिए बनाए तीन व्हाट्सएप ग्रुप
इंडिया गेट पर बच्चों को ढूंढने के लिए विशेष रूप से तीन व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं। इनमें एक व्हाट्सएप ग्रुप कर्तव्य पथ थाने से वहां तैनात पुलिसकर्मियों का है। इसके अलावा यहां तैनात आर्मी वेलफेयर वाले और साईंनाथ सुरक्षा गार्ड ने भी ग्रुप बना रखे हैं। किसी बच्चे की लापता होने की सूचना मिलते ही तीनों ग्रुप में फोटो और जानकारी शेयर कर दी जाती है। व्हाट्सएप ग्रुप पर तस्वीर शेयर होते ही सीसटीवी फुटेज खंगालकर बच्चों को ढूंढ निकाला जाता है। यहां पर नई दिल्ली जिले के हाल ही में बनाए गए कर्तव्य पथ थाने से हवलदार संदीप,संदीप, नीलू, सिपाही सुभाष भोले ओर गौरी शंकर तैनात हैं। इन पुलिसकर्मियों का कहना है कि उनकी ड्यूटी कानून-व्यवस्था को संभालने से ज्यादा बच्चों को ढूंढने में निकलती है।