नई दिल्ली । गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया...। गणेश चतुर्थी पर इस बार गणपति बप्पा लोगों के इको फ्रेंडली दोस्त बनेंगे। बाजारों में लाल बाग के राजा की इको फ्रेंडली यानी कि पर्यावरण अनुकूल मूर्ति की मांग 50 फीसदी बढ़ गई है। मूर्ति इस प्रकार तैयार की जा रही है, कि विसर्जन के दस मिनट बाद ही पानी में घुल जाए, ताकि पर्यावरण को भी नुकसान न हो।
सबसे खास बात यह हैं कि छोटी मूर्तियों को घर में टब में पानी भरकर विसर्जित किया जा सकेगा। यह बप्पा की मौजूदगी को और भी खास बनाएगी। भगवान गणेश की छोटी-बड़ी मूर्तियां भक्तों को मोहित कर रही हैं। इन मूर्तियों में किसी में बप्पा मोर पर सवार दिख रहें हैं तो किसी में नंदी के ऊपर सवार है। कई मूर्तियों को देख यूं लग रहा हैं कि मानो विघ्नहर्ता अभी बोल उठेंगे।
गणेश चतुर्थी से पहले इस वक्त दिल्ली के बाजारों में लोग बप्पा की मूर्ति, पंडाल, सिंहासन, मोदक समेत अन्य सामानों की जमकर खरीदारी कर रहे हैं। नंगली डेयरी, सरोजिनी नगर, सागरपुर, मॉडल टाउन, इंद्रपुरी, आरके पुरम समेत राजधानी के अन्य बाजारों में इन मूर्तियों को तैयार किया जा रहा है। दिल्ली ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान समेत अन्य राज्यों के लोग इन इको फ्रेंडली मूर्तियों की अधिक मांग कर रहे है।
सागरपुर में इको फ्रेंडली मूर्ति तैयार कर रही सीता ने बताया कि इन मूर्तियों के विसर्जन से जल में रहने वाले जीवों को कोई नुकसान नहीं होगा। इससे पहले शहर में प्लास्टर और पेरिस की मूर्तियों की बिक्री हुआ करती थी, जिनके तालाबों में विसर्जन पर प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद इको फ्रेंडली मूर्तियों का चलन बढ़ा है। इस बार इको फ्रेंडली मूर्तियों की मांग पहले की तुलना में 50 फीसदी बढ़ी है।
गंगा से निकली मिट्टी से देते हैं बप्पा को आकार
पश्चिम बंगाल की मिट्टी व मध्य प्रदेश की लकड़ी से बने भगवान गणेश दिल्ली में विराजमान होंगे। मूर्तियां बनाने में चार प्रकार की मिट्टी, पराली और अन्य सामग्री का उपयोग करते हैं। ये कलाकार कलकत्ता से गंगा से निकली मिट्टी लेकर आए हैं। लकड़ी और बांस मध्य प्रदेश के खंडवा और खरगोन से लाए हैं। इनके पास 10 फुट से ऊंची मूर्तियां हैं। एक फुट की मूर्ति की कीमत 500 रुपए है। 3.5 फूट की मूर्ति की कीमत छह हजार और सात फुट की मूर्ति की कीमत 12 हजार है।
सरोजिनी नगर मेें 14 साल की उम्र से बप्पा की मूर्ति को अंतिम रूप दे रही दामिनी ने बताया कि पूरा परिवार दिन-रात मूर्ति बनाने में जुटा हुआ है। विघ्नहर्ता के नैन नक्श को बनाने में सबसे ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। इसके साथ उनके आसन को भी विशेष बनाया जा रहा है। इस बार छोटी मूर्तियों की भी मांग है, क्योंकि अब घर घर में लोग भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं। उन्होंने बताया कि हरियाणा व उत्तर प्रदेश के लोग मूर्ति खरीदने आते हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि उनके पास बप्पा की विभिन्न प्रकार की मूर्ति मौजूद हैँ। इनमें भगवान गणेश मोर, नंदी, घोड़े व सिंहासन पर विराजमान हैं, तो किसी में वह नाचते व खाते हुए दिख रहे हैं।
पूरा परिवार गणपति को संवारने में जुटा
4 इंच से लेकर दस फुट तक की प्रतिमाएं मौजूद : नजफगढ़ के नंगली डेयरी के पास स्थित मूर्ति बना रहे मूर्तिकार भोले ने बताया कि गणपति बप्पा की मूर्ति में हर बार की तरह इस बार भी लाल बाग के राजा, अष्टविनायक, अमरावती के गणेश, सिद्धि विनायक, बाल गणेश, शृंगार गणेश, पगड़ी वाले गणेश की मांग है। चार इंच से लेकर 10 फीट तक की मूर्तियां तैयार की गई हैं। इनकी कीमत तीन सौ रुपये से 15 हजार रुपये तक है। विभिन्न प्रकार की मिट्टी के साथ नारियल के बुरादे को मिलाकर मूर्तियां तैयार की जा रही है।