नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को राष्ट्रीय राजधानी में प्रतिबंधित चीनी मांझे से होने वाली दुर्घटनाओं के कारण अपनी जान और हाथ-पैर खोने वाले लोगों को मुआवजा देने के लिए एक नीति बनाने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने सरकार को आज से आठ सप्ताह की अवधि के भीतर नीति तैयार कर इसे अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने कहा कि हालांकि सीआरपीसी की धारा-144 के तहत न्यायिक आदेश पारित किए गए हैं, लेकिन यह जानकर दुख होता है कि साल-दर-साल चीनी मांझे के कारण कई लोग अपनी जान और हाथ-पैर खो रहे हैं। न्यायमूर्ति प्रसाद ने दिल्ली पुलिस को वर्ष 2017 से 2024 तक चीनी मांझा बनाने और बेचने वालों के खिलाफ की गई कार्रवाई की नवीनतम स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की सुनवाई अब 23 अगस्त को होगी।
अदालत दिल्ली में पतंग उड़ाने के लिए चीनी मांझा के निर्माण और बिक्री के खतरे को उजागर करने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इससे पहले दिल्ली पुलिस ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में कहा था कि चीनी मांझा की बिक्री पर यथासंभव अंकुश लगाने के लिए दुकान मालिकों के संघों के साथ-साथ थोक और खुदरा बाजारों में निरंतर निगरानी की जा रही है।
अदालत ने दिल्ली पुलिस को स्वतंत्रता दिवस के दौरान दिल्ली में चीनी मांझा की बिक्री पर रोक लगाने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया था। याचिकाएं उन लोगों के परिजनों द्वारा दायर की गई हैं जिन्होंने प्रतिबंधित सामग्री के उपयोग के कारण घायल होने के बाद अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया है। उन्होंने दिल्ली सरकार से मुआवजे के साथ-साथ सलाह और निर्देशों का सख्ती से पालन करने की मांग की है।
अगस्त 2022 में एक खंडपीठ ने एक जनहित याचिका का निपटारा कर दिया था, जिसमें पतंग उड़ाने के साथ-साथ इसमें इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं के निर्माण, बिक्री और भंडारण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। अदालत ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वह चीनी सिंथेटिक मांझा की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ एनजीटी द्वारा पारित आदेशों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करे।