नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत होने वाली कार्रवाई को हल्के में नहीं लिया जा सकता। यह कानून परिवार में हिंसा की शिकार महिलाओं को पूरी तरह सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाया गया है।
जस्टिस अमित महाजन ने यह टिप्पणी शनिवार को गुजारा भत्ता देने के आदेश को चुनौती देनेवाली एक याचिका पर सुनवाई के दौरान की। इस मामले में पति ने पत्नी को 6,000 रुपये प्रति महीने गुजारा भत्ता देने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी।
उसने पहले गुजारा भत्ता देने के अदालत के जुलाई 2022 के आदेश के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की, पर उसी साल अक्तूबर में चुनौती देते हुए सत्र अदालत में अपील दाखिल की थी। अब हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर सत्र अदालत के आदेश को बरकरार रखा है।