नई दिल्ली। ऊर्जा मंत्री आतिशी ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर सोलर पॉलिसी 2024 को रोके जाने का आरोप मढ़ा है। कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि वे भाजपा की ओर से बैटिंग कर रहे हैं। यही वजह है कि वह प्रोग्रेसिव नीति वाली फाइल को रोक रहे है।
जबकि इसे लाने के पीछे सरकार का मकसद दिल्ली में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देना और बिजली का बिल जीरो करना है। अगर कोई उपभोक्ता 400 यूनिट से अधिक बिजली की खपत कर रहा है तो वो इस पॉलिसी के तहत अपने घर की छत पर सोलर पैनल लगवाकर बिजली का बिल जीरो कर सकता है।
आतिशी ने यह भी कहा कि उपराज्यपाल का अनावश्यक सवाल उठाने का सीधा उद्देश्य चुनाव आचार संहिता लगने से पहले इसे लागू होने से रोकना है। वे अपने संवैधानिक पद की गरिमा भूलकर भाजपा को चुनाव में वोट दिलवाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। उधर, विधानसभा में चल रहे बजट सत्र में सोलर पॉलिसी पर ‘आप’ विधायक राजेश गुप्ता ने निंदा प्रस्ताव रखा, जो ध्वनि मत से पास हो गया।
दिल्ली कैबिनेट ने पास की है नीति
दिल्ली की ऊर्जा मंत्री आतिशी ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में यह भी कहा है कि सरकार ने अपनी कैबिनेट में एक नई सोलर पॉलिसी पास की। इससे देश के सबसे बेहतरीन और प्रोग्रेसिव पॉलिसी के तौर पर सराहा गया। 400 यूनिट से ज्यादा बिजली का इस्तेमाल करने वालों को भी जीरो बिजली का बिल वाला इसमें प्रावधान है। दिल्ली में सरकार 200 यूनिट तक फ्री बिजली देती है, 200-400 यूनिट तक 50 फीसद सब्सिडी देती है। लेकिन पहली बार इस माध्यम से 400 यूनिट से ज्यादा बिजली इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं को राहत इससे मिलेगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने इस योजना की घोषणा की तो दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों से लोगों ने पूछना शुरू कर दिया कि सोलर पैनल कब तक लगवा सकते हैं।
इसमें दूसरा महत्वपूर्ण प्रावधान ये है कि हर यूनिट उत्पादन पर सरकार रूफटॉप सोलर लगवाने वाले उपभोक्ताओं को पैसे देगी। तीन किलोवाट तक की बिजली के लिए प्रति यूनिट उत्पादन पर तीन रुपये मिलेंगे। 3 किलोवाट से 10 किलोवाट तक प्रति यूनिट 2 रुपये दिए जाएंगे। लक्ष्य यह है कि 2027 तक दिल्ली में इस्तेमाल होने वाली 50 फीसद बिजली सोलर एनर्जी के माध्यम से आए जो शायद किसी और राज्य से ज्यादा होगा।
दिल्ली कैबिनेट ने 29 जनवरी को किया था पास
दिल्ली सरकार ने 29 जनवरी को इस पॉलिसी को पास किया। इसके 1-2 दिन बाद कैबिनेट के निर्णय का नोटिफिकेशन आया फिर उर्जा विभाग ने इसे राजनिवास भेजा। आतिशी ने कहा कि दुख की बात है कि उपराज्यपाल ने बेहतरीन सोलर पॉलिसी, जिससे दिल्ली के लोगों को फायदा होगा, पर्यावरण को बेहतर करेगा, प्रदूषण को कम करने वाला होगा। बावजूद इस फाइल को दिल्ली सरकार को वापस नहीं भेजा जा रहा है। व्यक्तिगत तौर पर राजनिवास कार्यालय से बार-बार बात कर करके ये पूछा कि फाइल कब वापिस आएगी, फाइल को नोटिफाई करना है। लेकिन कई तरह के बेबुनियाद सवाल लगाकर इस फाइल को रोक दिया गया है।
ऊर्जा मंत्री आतिशी ने एलजी से अनुरोध किया कि दिल्ली सोलर पॉलिसी एक बहुत शानदार पॉलिसी है। इससे न केवल दिल्ली वालों को फायदा होगा, बल्कि प्रदूषण भी कम होगा। इसलिए इस पॉलिसी पर राजनीति न करे, इसे रोकने का, इसमें देरी करने का प्रयास न करे। ये सोलर पॉलिसी दिल्लीवालों के हक में है और दिल्ली का एलजी होने के नाते ये आपकी नैतिक जिम्मेदारी है कि वो दिल्ली वालों के हक़ की पॉलिसी पास करें।
क्या है सरकार का लक्ष्य
दिल्ली सरकार ने इसके दो फायदे बताए हैं। पहला, दिल्ली को पूरे भारत में सौर ऊर्जा अपनाने के मामले में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करना है। जिससे दिल्ली के वायु प्रदूषण को कम किया जा सके। दूसरा, गैर-सब्सिडी वाले आवासीय उपभोक्ताओं के बिजली बिलों को जीरो और कॉमर्शियल व औद्योगिक उपभोक्ताओं का बिजली का बिल 50 फीसद तक कम करना है। मार्च 2027 तक दिल्ली की कुल स्थापित सौर क्षमता को मौजूदा क्षमता 1500 मेगावाट से तीन गुना बढ़ाकर 4,500 मेगावाट करना है। इसमें 2027 तक दिल्ली में 750 मेगावाट छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापना और दिल्ली के बाहर स्थापित 3750 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र शामिल हैं। बिजली खपत का लगभग 20 फीसद सौर ऊर्जा से आएगा।
इस नीति के तहत पहली बार दिल्ली सरकार आवासीय उपभोक्ताओं को सोलर पैनल लगवाने पर प्रति किलोवाट 2 हजार रुपये पूंजी सब्सिडी देगी, जो हर उपभोक्ता के लिए अधिकतम 10 हजार रुपये तक होगा। यह सब्सिडी केंद्र सरकार की पूंजी सब्सिडी से अधिक होगी। नेट मीटरिंग के तहत ग्रिड से खपत होने वाली बिजली के साथ उत्पन्न सौर ऊर्जा का समायोजन होगा। 400 यूनिट खपत करने वाले उपभोक्ता को 300 यूनिट का बिल लिया जाएगा। दिल्ली में 70 फीसदी आवासीय उपभोक्ताओं को शून्य बिजली बिल मिलता है। उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (जीबीआई) के जरिए से 700-900 रुपये की मासिक आय और 4 साल में कुल निवेश पर वापसी (आरओआई) प्राप्त होगी।
सौर नीति के मॉडल
सामुदायिक सौर मॉडल- देश में पहली बार कम्युनिटी सौर मॉडल स्थापित किया जाएगा। यह उन उपभोक्ताओं को सक्षम बनाएगा, जिनके पास सौर संयंत्र लगाने के लिए उपयुक्त छत नहीं है। ऐसे लोग तीसरे पक्ष के स्थान पर स्थापित एक सामुदायिक स्वामित्व वाले सौर सिस्टम का हिस्सा बन सकते हैं।
हाइब्रिड रेस्को मॉडल-यह मॉडल उन छोटे उपभोक्ताओं को भी लाभान्वित करेगा, जिनके पास पैसे नहीं है, लेकिन उनके पास पर्याप्त छत की जगह है। ऐसे उपभोक्त पारंपरिक रेस्को मॉडल के दायरे में नहीं आते हैं। रेस्को डेवलॉपर, डिस्कॉम और उपभोक्ता के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता किया जाएगा। डिस्कॉम उपभोक्ता से भुगतान जमा करेगा और उसे विकसित करके देगा।
पीयर टू पीयर ट्रेडिंग-देश में पहली बार सौर ऊर्जा के सहकर्मी से सहकर्मी बिजनेस के लिए भी एक मॉडल स्थापित कर सकेगा। यह सौर ऊर्जा प्रणाली के मालिकों को अपनी अतिरिक्त उत्पन्न बिजली को वास्तविक समय में दिल्ली के अन्य उपभोक्ताओं को पी टू पी ऊर्जा व्यापार मंच के माध्यम से बेचने में सक्षम बनाएगा।
राज्य सौर पोर्टल-नई सौर नीति का लक्ष्य एक एकीकृत एकल-विंडो राज्य पोर्टल बनाना है। यह दिल्ली सौर नीति, सौर प्रणालियों का लाभ, स्थापना प्रक्रिया से संबंधित दिशा-निर्देशों, तकनीकी रूप से योग्य विक्रेताओं की सूची आदि के तहत सभी सूचनाओं के लिए एक-स्टॉप-शॉप की तरह काम करेगा।
सरकारी भवनों के लिए अनिवार्य- नई सौर नीति के तहत 500 वर्ग मीटर से अधिक छत क्षेत्रफल वाले सभी मौजूदा सरकारी भवनों को अगले 3 वर्षों के भीतर अनिवार्य रूप से सौर संयंत्र लगाना होगा।
राज्य के बाहर से सौर ऊर्जा संयंत्र-छत सौर संयंत्रों के अलावा दिल्ली सरकार दिल्ली के बाहर उपयोगिता पैमाने के सौर ऊर्जा संयंत्रों से सौर ऊर्जा खरीद को भी बढ़ावा देगी। दिल्ली भारत के पहले राज्यों में से एक है, जो नवीकरणीय ऊर्जा निविदा में भाग लेता है। जो चौबीस घंटे बिजली प्रदान करने के लिए बहुत कम कीमतों पर सौर, पवन और बैटरी को जोड़ता है।