नई दिल्ली । उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक्सपायर हो चुके खाद्य उत्पादों की बिक्री पर चिंता व्यक्त की। जिन्हें नई समाप्ति तिथियों के साथ पुनः पैकेजिंग और पुनः ब्रांडिंग के बाद बाजारों में लाया जाता है। अदालत ने कहा कि लोगों को मिलावटी खाद्य पदार्थ खाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने कहा कि किसी को भी एक्सपायर हो चुकी वस्तुएं बेचने की इजाजत नहीं दी जा सकती और यह व्यवसाय नहीं हो सकता।
मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि दिल्ली में लोगों को मिलावटी भोजन नहीं मिलना चाहिए। पीठ को सुझाव दें कि इससे कैसे निपटा जा सकता है।
पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जो एक्सपायर हो चुके उत्पादों को नई एक्सपायरी तिथियों के साथ पुनः पैक किए जाने के कई मामले प्रकाश में आने के बाद स्वतः ही शुरू की गई थी।
पति का दावा, पत्नी ट्रांसजेंडर, मेडिकल जांच करवाई जाए
हाईकोर्ट में एक अजीबोगरीब मामला आया है। एक याचिकाकर्ता पति ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी ट्रांसजेंडर है और शादी से पहले इस तथ्य को छिपाया गया था। पति ने अदालत से पत्नी की मेडिकल जांच कराने का अनुरोध किया है।
याचिका में कहा गया है कि किसी व्यक्ति का लिंग पहचान एक निजी मामला है। हालांकि, यह इस बात पर जोर देता है कि विवाह के संदर्भ में, दोनों पक्षों के अधिकार आपस में जुड़े हुए हैं। एक स्वस्थ और शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन सुनिश्चित करने के लिए, भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत दोनों व्यक्तियों के जीवन के मौलिक अधिकारों को संतुलित करना और उनका सम्मान करना महत्वपूर्ण है।