नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में सड़कों, राजमार्गों और एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए 70,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर काम चल रहा है, ताकि लोगों को ट्रैफिक जाम से राहत मिल सके।
दिल्ली में शुक्रवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने आगे कहा कि हाइड्रोजन से चलने वाले वाहन भविष्य हैं। और आखिरकार जीवाश्म ईंधन से होने वाले प्रदूषण की समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद करेंगे।
उन्होंने कहा कि आज तकनीक बहुत तेजी से बदल रही है और ज्ञान ही शक्ति है।
गडकरी ने कहा कि उनका मंत्रालय सड़कों के निर्माण में दिल्ली में लैंडफिल से निकलने वाले कचरे का इस्तेमाल कर रहा है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि लोगों को सामाजिक रूप से जिम्मेदार होना चाहिए।
मंत्री ने कहा कि वह राजनीति से ज्यादा समाज सेवा पर ध्यान देते हैं।
गौरतलब है कि हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने एलान किया कि उसने दिल्ली-एनसीआर में और उसके आसपास विभिन्न इलाकों पर मियावाकी वृक्षारोपण स्थापित करने के लिए 53 एकड़ भूमि की पहचान की है।
यह कदम नेशनल हाईवे (राष्ट्रीय राजमार्गों) को हरियाली से भरने के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए उठाया जा रहा है। इसके लिए, एनएचएआई विभिन्न जगहों पर नेशनल हाईवे से सटे भूमि भूखंडों पर मियावाकी वृक्षारोपण लगाने के लिए एक अनूठी पहल करेगा।
मंत्रालय ने कहा, "राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे मियावाकी वृक्षारोपण के विकास के लिए प्रस्तावित कुछ स्थलों में हरियाणा सेक्शन के द्वारका एक्सप्रेसवे के साथ 4.7 एकड़ भूमि क्षेत्र, दिल्ली-वडोदरा खंड के दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर सोहना के पास 4.1 एकड़, हरियाणा में अंबाला-कोटपूतली कॉरिडोर के राष्ट्रीय राजमार्ग 152D पर चाबरी और खरखड़ा इंटरचेंज दोनों मेंलगभग 5 एकड़ शामिल हैं।"
इसके अलावा, NH-709B पर शामली बाईपास पर 12 एकड़ से ज्यादा, गाजियाबाद के पास ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर दुहाई इंटरचेंज पर 9.2 एकड़ और NH-34 के मेरठ-नजीबाबाद खंड के पास 5.6 एकड़ भूमि की पहचान की गई है।
इन चुनी हुई जगहों पर जमीनी तैयारियां पहले ही शुरू हो चुकी हैं और वृक्षारोपण आगामी मानसून मौसम में किया जाएगा। इसे अगस्त 2024 के आखिर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
मियावाकी वृक्षारोपण, जिसे मियावाकी पद्धति के रूप में भी जाना जाता है, इकोलॉजिकल रेस्टोरेशन (पारिस्थितिक बहाली) और वनीकरण विकास के लिए एक अद्वितीय जापानी दृष्टिकोण है।