नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने बांग्लादेशी नागरिकों को दिल्ली में बसाने में मदद करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने बांग्लादेश के दो नागरिकों समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए स्थानीय दो लोगों पर बांग्लादेशी नागरिकों के अवैध आव्रजन और दस्तावेज तैयार करने में मदद करने का आरोप है।
इस बीच पिछले चार साल से दिल्ली में अवैध रूप से रह रही एक बांग्लादेशी महिला को निर्वासित किया गया है।
पुलिस ने बताया कि आव्रजन गिरोह में बांग्लादेश और भारत के हैंडलर शामिल थे। ये बांग्लादेशी नागरिकों के परिवहन का काम संभालते थे। देश में रहने के लिए बांग्लादेशी नागरिकों के फर्जी दस्तावेज बनाने में मदद करते थे। पुलिस ने फर्जी आधार और पैन कार्ड, भारतीय पासपोर्ट आवेदन और अन्य दस्तावेज भी जब्त किए हैं। उन्होंने बताया कि गिरोह ने सीमावर्ती राज्यों में मेघालय और असम के रास्ते ‘डंकी रूट’ भी खोजा है जिसका इस्तेमाल ये दोनों विदेशी नागरिक करते थे। संयुक्त पुलिस आयुक्त (दक्षिणी रेंज) संजय कुमार जैन ने बताया कि पुलिस ने दो बांग्लादेशी नागरिकों बिलाल हुसैन और उसकी पत्नी सपना के साथ-साथ दो भारतीय नागरिकों अमीनुर इस्लाम और आशीष मेहरा को गिरफ्तार किया है।
जांच से पता चला कि एक सुव्यवस्थित नेटवर्क ने बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में अवैध प्रवेश की सुविधा प्रदान की। बांग्लादेशी हैंडलरों के मार्गदर्शन में ये प्रवासी पैदल ही बांग्लादेश के दुर्गापुर और मेघालय के बाघमारा के बीच जंगल की सीमा पार किए। इसके बाद भारतीय हैंडलरों ने उन्हें असम के कृष्णई और न्यू बोंगाईगांव रेलवे स्टेशनों पर पहुंचाया, जहां से वे दिल्ली और कोलकाता जैसे महानगरों की ओर रवाना हुए।
दिल्ली पुलिस ने अवैध रूप से रह रही एक बांग्लादेशी महिला को पकड़कर निर्वासित कर दिया है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि दस्तावेज सत्यापन अभियान के दौरान पुलिस को कापसहेड़ा इलाके में रह रहे एक बांग्लादेशी नागरिक के बारे में पता चला था ।
बिलाल गुरुग्राम में चला रहा था दुकान
पुलिस ने बताया कि बिलाल (28) वर्ष 2022 में मेघालय-असम सीमा के रास्ते भारत में दाखिल हुआ और अपनी पत्नी सपना के साथ दिल्ली में रहने लगा। वह गुरुग्राम में कॉस्मेटिक की दुकान और ब्यूटी पार्लर चलाता था। उसने कथित तौर पर भारत में रहने के लिए फर्जी आधार और पैन कार्ड बनवाए थे। सपना (28) पहले बांग्लादेश में एक कपड़ा फैक्ट्री में काम करती थी। वह बिलाल के साथ सीमा पार कर भार आई और देश में बसने के लिए जाली दस्तावेज तैयार किए।
अमीनुर फर्जी दस्तावेज कराता था मुहैया
पुलिस ने बताया कि असम निवासी अमीनुर इस्लाम (37) कथित तौर पर सीमा से रेलवे स्टेशनों तक अवैध अप्रवासियों को पहुंचाने का काम करता था। वह कथित तौर पर बांग्लादेशी साथियों के साथ मिलकर परिवहन और फर्जी दस्तावेज मुहैया कराता था। वहीं गुरुग्राम निवासी आशीष मेहरा (23) पर अन्य फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल करके आधार कार्ड बनाने का आरोप है। मेहरा एक अधिकृत आधार ऑपरेटर के साथ काम करता था और काम के लिए फीस लेता था।
पिता बोले- इस बारे में कुछ नहीं पता
गिरफ्तार आशीष के पिता का कहना है कि उनका बेटा सीएससी सेंटर पर नौकरी करता था या इसे चलाता था, इसके बारे में उन्हें कुछ नहीं पता है। सुखराली स्थित जिस दुकान में सीएससी सेंटर चल रहा है, उसके मालिक व सीएससी संचालक के पिता उसको बेकसूर बता रहे हैं। संवाद
आधार बनाने के लिए वसूले 4-5 हजार
जैन ने बताया कि अप्रवासियों ने बचने के लिए बसों, ट्रेनों और जाली दस्तावेज का इस्तेमाल किया। मुख्य मददगारों ने परिवहन, नकली आईडी और सिम कार्ड सहित रसद सहायता प्रदान की। गिरफ्तार किए गए लोगों ने प्रति आधार कार्ड 5,000 रुपये तक वसूलने की बात कबूल की है।
आरोपियों के पास से ये सामान बरामद
जिला पुलिस उपायुक्त अंकित चौहान ने बताया कि आरोपियों के घरों की तलाशी में 6 आधार कार्ड, 18 क्रेडिट-डेबिट कार्ड, 5 पैन कार्ड, 6 चेक बुक, 2 बैंक पासबुक, दो क्यूआर कोर्ड, एक वोटिंग कार्ड की प्रति, एक भारतीय पासपोर्ट आवेदन पत्र, एक टाटा विंगर वाहन बरामद किया गया।