नई दिल्ली। डॉ. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में इलाज करवाने आ रहे मरीजों को पर्ची बनाने व दवाएं लेने के लिए अब लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। मरीजों की परेशानी को देखते हुए अस्पताल में पर्ची बनाने व दवा काउंटर को दो से तीन गुने तक बढ़ा दिए गए हैं।
इसके अलावा रात में रुकने वाले तीमारदारों की सुविधा के लिए तीन प्रतीक्षा कक्ष को अपग्रेड किया गया है। जल्द ही यहां बैठने के लिए बैंच भी लगाए जाएंगे। अस्पताल में रोजाना ओपीडी और इमरजेंसी में करीब दस हजार मरीज आते हैं। इनमें से करीब एक से दो हजार मरीज ऐसे होते हैं जिन्हें रात में अस्पताल परिसर में ही रुकना होता है। सुविधा शुरू होने के बाद ऐसे मरीजों को काफी राहत होगी।
बृहस्पतिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने अस्पताल में पांच सुविधाओं का उद्घाटन किया। इन सुविधाओं में ओपीडी पंजीकरण काउंटर, दवा काउंटर, प्रतीक्षा कक्ष सहित अन्य सुविधाएं शामिल हैं। यह सभी जल्द ही पूरी क्षमता के साथ काम करना शुरू कर देंगे।
अस्पताल के निदेशक और एमएस डॉ. प्रो. अजय शुक्ला ने कहा कि अस्पताल में पहले ओपीडी पर्ची काउंटर के लिए आठ काउंटर थे। अब इनकी संख्या बढ़ाकर 23 कर दी गई है। वहीं, दवा के लिए पहले पांच काउंटर चल रहे थे। अब इनकी संख्या बढ़ाकर 10 कर दी गई है। दवा काउंटर ट्रामा सेंटर के पीछे बनाया गया है। ब्लड बैंक के पास, वार्ड नंबर 13 और ऑर्थोपेडिक वार्ड के पास तीन प्रतीक्षा कक्ष बनाए गए हैं। मेडिकल कॉलेज के छात्रों व दूसरे स्टाफ के लिए अलग से सुविधा विकसित की गई है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में हर दिन 8 हजार से अधिक मरीज आते हैं। इन मरीजों को लंबे समय तक लाइन में लगे रहना पड़ता था। काउंटर की संख्या बढ़ाने से इंतजार का समय आधा हो जाएगा। प्रतीक्षा कक्ष को अपग्रेड करने से अब तीमारदार किसी भी मौसम में बिना दिक्कत आराम से रह सकेंगे।
ये सुविधाएं शुरू हुईं
ओपीडी पंजीकरण हॉल (23 काउंटर)
नई फाॅर्मेसी (10 काउंटर)
मरीजों और परिचारकों के लिए तीन प्रतीक्षा क्षेत्र
यूजी/पीजी छात्रों के लिए वाचनालय (106 की बैठने की क्षमता)
एबीवीआईएमएस में कार्यालय स्थान (42 की बैठने की क्षमता)
इन जगहों पर हैं प्रतीक्षा कक्ष
वार्ड 13 के पास
ऑर्थोपेडिक वार्ड के पास
ब्लड बैंक के पास
दूसरे राज्यों से आते हैं मरीज
आरएमएल अस्पताल में रोजाना दो से तीन हजार मरीज उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश सहित दूसरे प्रदेश से आते हैं। इनमें से काफी मरीज सर्जरी व दूसरे कारणों के लिए अस्पताल में भर्ती होते हैं। ऐसे मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों को बाहर रुकना होता है। अब यह मरीज प्रतीक्षा कक्ष में आसानी से रहकर मरीज का इलाज करवा सकेंगे।
जल्द पूरी क्षमता के साथ मिलेगी सेवा
अस्पताल में शुरू हुई सेवा आने वाले दिनों में पूरी क्षमता के साथ सेवाएं देगी। शुरुआती दौर में पर्ची और दवा के कुछ काउंटर शुरू हुए हैं। मेन पावर बढ़ने के साथ ही पूरी क्षमता के साथ सेवाएं शुरू हो जाएगी।
एम्स ट्रामा सेंटर की प्रयोगशाला को मिली एनएबीएल मान्यता
एम्स के ट्रामा सेंटर की प्रयोगशाला को चिकित्सा विभाग की ओर से एनएबीएल मान्यता प्राप्त हुई है। यह एम्स की पहली प्रयोगशाला है। एम्स प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशालाओं के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) मान्यता मिलने के बाद एम्स ट्रामा सेंटर में मरीजों को मिल रही सुविधाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा। साथ ही मौजूदा स्थिति बेहतर होगी। लैब में कुछ समय पहले ही मान्यता के लिए आवेदन किया था।
लेडी हार्डिंग अस्पताल में आईवीएफ सुविधा जल्द
लेडी हार्डिंग अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में जल्द इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) की सुविधा शुरू होगी। एम्स, सफदरजंग के बाद लेडी हार्डिंग अस्पताल में बड़ी संख्या में महिलाएं इलाज करवाने आती है।
मौजूदा समय में यहां स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की सामान्य सुविधाएं मिल रही है। इन सुविधाओं में विस्तार करते हुए आईवीएफ सेंटर भी शुरू करने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि यह सुविधा जल्द शुरू होगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि जीवन शैली में हुए बदलाव के कारण कम उम्र के लोगों में ही बांझपन जैसी समस्याएं बन रही हैं। ऐसे महिलाएं व पुरुषों को आईवीएफ का सहारा लेना पड़ रहा है। पिछले कुछ सालों में इसकी मांग बढ़ी है। इसे देखते हुए लेडी हार्डिंग भी सुविधा को शुरू करेगा। विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि सेंटर शुरू होने के बाद अस्पताल में आने वाले हजारों महिलाओं को फायदा होगा। यहां हर दिन ओपीडी में 200 से अधिक महिलाएं इलाज करवाने आती हैं।
स्टेरॉयड से पुरुषों में दिक्कत
25 जुलाई को मनाए जाने वाले विश्व आईवीएफ दिवस को लेकर दिल्ली के निजी आईवीएफ सेंटर की बैठक हुई। इस बैठक में सेंटर के प्रमुख ने अपने आंकड़े प्रस्तुत किए। इस मौके पर डॉ. संदीप तलवार ने बताया कि पिछले दो साल में उनके सेंटर पर आईवीएफ के लिए एक हजार मामले आए। इन मामलों में युगल की जांच के बाद 400 पुरुषों में समस्या देखी गई। वहीं, डॉ. रीता बख्शी ने कहा कि पिछले दो साल में उनके यहां आए युगल की जांच के बाद 19 पुरुष ऐसे मिले जिनमें बॉडी बिल्डिंग के लिए डॉक्टर की सलाह के बिना असामान्यता स्टेरॉयड लिया। इसके कारण उनके शुक्राणुओं को असर हुआ।