नई दिल्ली । राजधानी के सभी पेट्रोल पंपों पर सोमवार से प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसी) नहीं बनेंगे। इसका संचालन करने वाले दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन (डीपीडीए) का दावा है कि 2011 के बाद से पीयूसी दरों में कोई वृद्धि नहीं हुई है। इस वजह से इसका संचालन करना आर्थिक रूप से मुश्किल हो रहा है।
उनकी मांग हैं कि वृद्धि पर विचार किया जाए और अन्य परिचालन लागतों के लिए मुद्रास्फीति सूचकांक को ध्यान में रखा जाए। साथ ही शुल्क को बढ़ाकर दो पहिया वाहनों के लिए 150 और चार पहिया वाहनों के लिए 200 व डीजल वाहनों के लिए 300 रुपये किया जाए।
जनपथ, बाबा खड़क सिंह मार्ग, भाई वीर सिंह मार्ग, धौला कुआं, आर के पुरम सहित अन्य इलाकों के पीयूसी केंद्रों पर रविवार को अपने वाहनों की जांच करवाने काफी संख्या में लोग पहुंचे। गोल मार्केट में पीयूसी कराने आए महेश ने बताया कि आवश्यक काम के सिलसिले से जाना था, लेकिन इस हड़ताल के बारे में सूचना मिलते ही वाहन की जांच करवाने आ गए। उन्होंने बताया कि डीपीडीए का यह फैसला सही नहीं है। वह शुल्क में बढ़ोतरी की बात कर रहे है। महंगाई इतनी हो गई है। अब ये भी कीमत बढ़ाने की बात पर अड़ गए हैं।
वहीं, बाबा खड़क सिंह मार्ग पर अपने दो पहिया वाहन की पीयूसी करवाने आए राघव ने बताया कि अभी दो दिन पहले ही उनके वाहन का पीयूसी की समय अवधि खत्म हुई है। जिसके चलते कार्यालय से आधे दिन का अवकाश लेकर आए हैं। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को सोमवार को पीयूसी करवाना होगा, वो कैसे करवाएगें। ऐसे में लोगों का किसी और की वजह से उनका चालान कटेगा।
वहीं, दोपहिया वाहन चालक रोहित रस्तोगी ने बताया कि उनका एक दिन पहले ही पीयूसी समाप्त हो गया है। ऐसे में वह पीयूसी कराने आए हैं। उन्होंने कहा कि पीयूसी खुला है, लेकिन कर्मचारी पीयूसी करने से इनकार कर रहे है। उन्होंने बताया कि वह दो से तीन पीयूसी केंद्रों के चक्कर काट चुके हैं। उन्होंने कहा कि अब समझ नहीं आ रहा है कि कहां जाएं। उधर, जनपथ के एक पेट्रोल पंप में अपनी कार का पीयूसी कराने आए यश रावत ने बताया कि पहले तो पीयूसी की फीस बढ़ा दी। अब ऐसे में पीयूसी केंद्र मालिक अपनी मनमर्जी चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि बहुत मुश्किल में उनका पीयूसी किया गया है।
सरकार के फैसले से कम हुई कमाई : डीपीडीए
डीपीडीए के एक सदस्य ने कहा है कि शुल्क बढ़ाने के विरोध में 15 जुलाई से दिल्ली के करीब 700 पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट केंद्र बंद कर दिए जाएंगे। पिछले 13 वर्षों में पीयूसी केंद्रों का संचालन करने वाले लोगों का वेतन 300 फीसदी बढ़ गया है, लेकिन दरों में वृद्धि नहीं हो पाई है। ऐसे में उनके परिचालन लागत में वृद्धि हुई है। यही नहीं, पहले ग्राहकों को हर 3 महीने में पीयूसी जांच करानी होती थी, अब सरकार ने इसे साल में एक बार कर दिया है, जिससे कमाई घटकर एक चौथाई रह गई है।