अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस : राजधानी में हर घंटे दो महिलाएं होती हैं घरेलू हिंसा का शिकार
- Rohit Mehra
- देश

नई दिल्ली। राजधानी में हर घंटे दो महिलाएं हिंसा का शिकार होती हैं। इनमें सबसे ज्यादा मामले घरेलू हिंसा के हैं। ज्यादातर महिलाओं को अपने पति व ससुराल वालों की प्रताड़ना का सामना पड़ता है। दहेज के लिए कई बार उनकी हत्या भी कर दी जाती है। दूसरे नंबर पर महिलाओं को अगवा करने के मामले हैं। दुष्कर्म, छेड़छाड़, बदसलूकी की शिकार महिलाओं की तादात भी काफी है।
पिटाई करके घर में पत्नी को बंधक बनाने का रणहौला का मामला अपवाद नहीं है। दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 15 नवंबर तक राजधानी में 12,361 महिलाएं आपराधिक घटनाओं की शिकार हो गई हैं। इसमें से एक तिहाई मामले घरेलू हिंसा से जुड़े हैं।
ज्यादातर मामलों में महिलाओं को पति और उसके परिवार के सदस्यों से प्रताड़ना मिली है। अभी तक पति और ससुराल वालों से प्रताड़ित होने वाली 4256 महिलाओं ने थाने में इनके खिलाफ मामला दर्ज करवा चुकी हैं। जबकि 11 मामले ऐसे हैं, जिसमें महिलाओं ने दहेज के लिए प्रताड़ित करने वाले अपने ससुराल वालों के खिलाफ दहेज निषेध अधिनियम के तहत मामला दर्ज करवाया है। 116 महिलाएं इस साल दहेज हत्या की बलि चढ़ चुकी है।
शेष महिलाएं अन्य अपराधों का शिकार हुई हैं। दूसरा नंबर उनको अगवा करने का है। इसके साथ ही दुष्कर्म, छेड़छाड़ समेत दूसरे अपराधों की भी संख्या कम नहीं है। समाज विज्ञानियों कहना कि जिस अनुपात में महिलाओं का सशक्तीकरण हुआ है, उसी अनुपात में उनकी प्रताड़ना भी बढ़ी है। दुनिया के विकसित देशों में भी पहले यही हुआ है। अभी इसमें कमी आने की संभावना कम है।
सोसाइटी बदली, बढ़ी हिंसा
अपनी सोसाइटी तेजी से बदल रही हे। महिलाओं का सशक्तीकरण होने के क्रम में उनमें जागरूकता आई और उन्होंने अपने हक के लिए परिवार में भी बोलना शुरू कर दिया। चूंकि भारतीय समाज पितृ सत्तात्मक रहा है। ऐसे में सोच का टकराव हुआ। महिला हर बात मानने की जगह पुरुष का विरोध करने लगी। कई बार यह हिंसा के तौर पर सामने आया। आज भी यह बदस्तूर जारी है। इस दिशा में काम करने वाली संस्थाओं की सोच भी अजीब सी है। वह सबसे पहले पीड़ित महिला की काउंसलिंग करती हैं। जबकि होना यह चाहिए कि जिसने प्रताड़ित किया है, उसको समझाया जाए।
-प्रो. संजय भट्ट, डिपार्टमेंट ऑफ सोशल वर्क, डीयू
घरेलू हिंसा 4256
दहेज हत्या 116
महिला उत्पीड़न के आंकड़े
दहेज निषेध अधिनियम 11
अपहरण 3399
छेड़छाड़ 2258
दुष्कर्म 1828
बदसलूकी 354