तेल कंपनियों के निर्यात से दिक्कत नहीं लेकिन देश में पेट्रोल-डीजल की उपलब्धता जरूरी: वित्त मंत्री
- Rohit Mehra
- देश

नई दिल्ली । हमें मुनाफे को लेकर कोई एतराज नहीं है लेकिन घरेलू स्तर पर तेल उपलब्धता जरूरी है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ईंधन के निर्यात पर टैक्स लगाए जाने को लेकर ये बात कही है। उन्होंने कहा, "हमें मुनाफे को लेकर कोई एतराज नहीं है। लेकिन अगर घरेलू स्तर पर तेल उपलब्ध नहीं हो रहा है और उसे निर्यात कर असाधारण लाभ भी कमाया जा रहा है तो हमारे अपने नागरिकों का भी कुछ हिस्सा बनता है।
इसी वजह से हमने यह द्विपक्षीय दृष्टिकोण अपनाया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि यह आयात को हतोत्साहित करने के लिए नहीं है और निश्चित रूप से यह कदम मुनाफा कमाने के खिलाफ नहीं है। लेकिन असाधारण वक्त में इस तरह के कदमों की जरूरत पड़ती है।
सरकार ने लिया है ये फैसला: आपको बता दें कि सरकार ने घरेलू आपूर्ति को नजरअंदाज कर विदेशों में बिक्री करने की कुछ तेलशोधन कंपनियों की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने के लिए पेट्रोल, डीजल-पेट्रोल और विमान ईंधन (एटीएफ) के निर्यात पर टैक्स लगा दिया। इसके साथ ही कच्चे तेल के घरेलू उत्पादन से होने वाले अप्रत्याशित लाभ पर टैक्स लगाने की भी घोषणा की गई।
कितना टैक्स लगा है: वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी एक अधिसूचना के मुताबिक, सरकार ने पेट्रोल और एटीएफ के निर्यात पर छह रुपये प्रति लीटर तथा डीजल के निर्यात पर 13 रुपये प्रति लीटर की दर से टैक्स लगाने का फैसला किया है। नई दरें एक जुलाई से प्रभावी हो गई हैं। इसके अलावा घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर 23,250 रुपये प्रति टन की दर से टैक्स लगाया गया है। पिछले साल घरेलू स्तर पर कुल 2.9 करोड़ टन कच्चे तेल का उत्पादन हुआ था। उस हिसाब से सरकार को 66,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की संभावना है।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक हाल के महीनों में कच्चे तेल की कीमतें तेजी से बढ़ने का लाभ उन कंपनियों को मिला है जो घरेलू रिफाइनरियों को अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर तेल बेचती हैं। इससे कच्चे तेल के घरेलू उत्पादकों को अप्रत्याशित लाभ मिल रहा है। इसे देखते हुए कच्चे तेल पर 23,250 रुपये प्रति टन उपकर लगाया गया है। हालांकि बीते वित्त वर्ष में 20 लाख बैरल से कम उत्पादन करने करने वाले छोटे उत्पादकों को इस नए उपकर से छूट मिलेगी।
क्यों लिया गया फैसला: कच्चे तेल, पेट्रोल, डीजल और एटीएफ के निर्यात पर टैक्स लगाने के फैसले के पीछे एक वजह यह रही है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज और रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी जैसी रिफाइनरी रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोप एवं अमेरिका में ईंधन के निर्यात से बड़ा लाभ कमा रही थीं।
पेट्रोलियम निर्यात पर टैक्स लगाकर सरकार घरेलू उपलब्धता बढ़ाना चाहती है। नया टैक्स लगने के बाद पेट्रोलियम उत्पादकों को तेल उद्योग विकास उपकर और रॉयल्टी मिलाकर तेल कीमत का करीब 60 प्रतिशत कर के रूप में चुकाना होगा। अप्रत्याशित लाभ पर टैक्स तब लगता है जब कंपनियों को बेहद अनुकूल बाजार परिस्थितियों की वजह से अप्रत्याशित लाभ होता है। यह कर कंपनियों से सिर्फ एक बार ही वसूला जाता है।
इसके साथ ही सरकार ने यह भी कहा है कि पेट्रोल का निर्यात करने वाली तेल कंपनियों को चालू वित्त वर्ष में विदेशी बिक्री का 50 फीसदी तेल घरेलू बाजार में बेचना होगा। डीजल के लिए यह सीमा निर्यात का 30 फीसदी रखी गई है।