सत्ता का सूखा झेल रही कांग्रेस को संजीवनी, जेडीएस के गढ़ में लगाई बड़ी सेंध
- Rohit Mehra
- देश

नई दिल्ली। अंदरूनी कलह और अरसे से सत्ता का सूखा झेल रही कांग्रेस के लिए कर्नाटक चुनाव के नतीजे किसी संजीवनी से कम नहीं हैं। नतीजे ने जहां पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का कद बढ़ाया है, वहीं भाजपा विरोधी विपक्षी मोर्चा की अगुवाई करने के पार्टी के दावे को मजबूती दी है। पार्टी के लिए राहत की बात यह है कि चुनाव में उसने तटीय कर्नाटक को छोड़ राज्य के सभी क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन किया है।
नतीजे का कांग्रेस के लिए खासा महत्व है। हिमाचल प्रदेश को अपवाद मानें तो पार्टी लोकसभा चुनाव में करारी हार झेलने के बाद एक जीत के लिए तरस रही थी। बीते लोकसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी ने अंतर्विरोध के कारण मध्यप्रदेश और कर्नाटक में अपनी बनी बनाई सरकार खो दी। इसके बाद पंजाब जैसे अहम राज्य को भी खोना पड़ा। लगातार हार से निराशा में डूबे कई नेताओं ने दूसरे दलों में ठिकाना ढूंढा, तो पार्टी पर कई गैरभाजपा दलों के हमले भी बढ़े।
जेडीएस के गढ़ में लगाई बड़ी सेंध
कर्नाटक राजनीतिक दृष्टि से दक्षिण भारत का अहम राज्य है। कांग्रेस के लिए राहत की बात यह है कि उसे जेडीएस के गढ़ ओल्ड मैसूर, भाजपा के गढ़ बॉम्बे कर्नाटक और मध्य कर्नाटक में बड़ी बढ़त हासिल हुई है। बीते चुनाव के मुकाबले इस बार पार्टी को 55 से अधिक सीटों पर जीत के साथ 5% अधिक वोट मिले हैं। हमेशा खुद के लिए संकट बने जेडीएस के वोट बैंक में भी पार्टी ने बड़ी सेंध लगाई है।
खरगे का कद बढ़ा
कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष खरगे का गृहराज्य है। इसलिए यह चुनाव खरगे के लिए बड़ी अग्निपरीक्षा थी। कर्नाटक में बड़ी जीत मिलने के बाद खरगे का राजनीतिक कद बढ़ा है। अपनी अध्यक्षता में खरगे ने पार्टी को हिमाचल प्रदेश के बाद कर्नाटक में जीत दिलाई है।
गारंटी, आरक्षण का दांव
कांग्रेस ने आरक्षण का दायरा 50 से 75% करने, मुसलमानों का आरक्षण बहाल करने, बेरोजगारों व हर परिवार की महिला को हर महीने क्रमश: तीन और दो हजार रुपये देने की गारंटी दी। इसका सीधा असर मुसलमानों, गरीबों और महिलाओं पर पड़ा।
भारत जोड़ो...21 दिन में 500 किमी की यात्रा
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और मल्लिकार्जुन खरगे को अध्यक्ष बनाने का भी कांग्रेस को लाभ मिला। राहुल ने कर्नाटक में 21 दिन में 500 किलोमीटर की यात्रा की थी।
अब कांग्रेस के नेतृत्व में ही नया मोर्चा बनेगा
यह तय है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बनने वाला कोई भी मोर्चा अब कांग्रेस के नेतृत्व में ही बनेगा। अब तक कांग्रेस को नजरअंदाज कर रहे दूसरे विपक्षी दल देश की इस सबसे पुरानी पार्टी को दरकिनार नहीं कर पाएंगे। लगातार हार के कारण पिछले दिनों जो बिखराव कांग्रेस में दिखा था वह भी थमने की उम्मीद है।
राहुल के लिए भी राहत लाए नतीजे
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा खत्म होने के बाद पार्टी को मिली यह पहली बड़ी सफलता है। चुनाव ऐसे समय में हुए हैं, जब मानहानि मामले में सजा और संसद की सदस्यता रद्द होने के साथ-साथ अदाणी मामले में सियासत गरम थी। इस जीत को राहुल की यात्रा और उनके उठाए मुद्दों से भी जोड़ कर देखा जा रहा है, ऐसे में नतीजे राहुल के लिए भी बड़ी राहत हैं।
2024 में राहुल होंगे प्रधानमंत्री
नतीजा लोकसभा चुनाव की एक सीढ़ी है। 2024 में राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनेंगे। यह नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा के खिलाफ जनादेश है। पीएम मोदी 20 बार कर्नाटक आए थे, पहले किसी पीएम ने इस तरह प्रचार नहीं किया। राहुल की पदयात्रा ने कमाल कर दिया।
- सिद्धरमैया, कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री
सोनिया से किया था जीत का वादा
मैंने सोनिया गांधी, राहुल, प्रियंका और खरगे से वादा किया था कि कर्नाटक इस बार पार्टी की झोली में होगा। भाजपा ने जब मुझे जेल में डाला था, तो सोनिया मिलने आई थीं। लोगों ने हम पर विश्वास किया है। यह एक सामूहिक नेतृत्व है और हमने मिलकर काम किया है। - डीके शिवकुमार, अध्यक्ष, कर्नाटक कांग्रेस
1989 के रिकॉर्ड के पास पहुंची कांग्रेस
इस बार कांग्रेस ने 43 फीसदी से ज्यादा मत हासिल कर 136 सीटें जीतकर तीन दशक की सबसे बड़ी जीत हासिल की है।
-इससे बड़ी जीत 1989 में कांग्रेस को ही मिली थी, जब वीरेंद्र पाटिल मुख्यमंत्री बने थे। इस चुनाव में कांग्रेस को 43.76 फीसदी मत मिले और 178 सीटों पर प्रचंड जीत मिली थी।
-बहरहाल, कांग्रेस अपना यह रिकॉर्ड तोड़ तो नहीं पाई, लेकिन इसके बहुत करीब पहुंच गई है। यही पार्टी के लिए बड़े सुकून की बात है।
वर्ष दल सीट कुल मत
1994 जेडीएस 115 33.54%
1999 कांग्रेस 132 40.84%
2004 भाजपा 79 28.33%
2008 110 33.86%
2013 कांग्रेस 122 36.6%
2018 भाजपा 104 36.3%
2023 कांग्रेस 136 43.00%
स्रोत : चुनाव आयोग